Sunday, June 24, 2012

सच की कहानी


दूर उस नीले आसमां में देखा, बड़ी कशिश थी मेरे ख्याबों में                                                                                           
फिर याद आया वो लम्हा, बड़ी शिरकत  थी उन नम आँखों में
मेरे सपनो की वो दुनिया, और दूर उस समुन्दर का वो किनारा
एक डोर से बंधी मेरी जिंदगानी, एक लम्हा और एक सच  मेरी कहानी...

लेकर आई थी  मैं सपने हज़ार, अधूरे सपने और मेरे सपनो का संसार
कह दिया उसने झूटी है सपनो की दुनिया, सपनो का नहीं होता कोई आकार
होंगे मेरे सपने एक दिन सच, और उन सपनो की दुनिया की वो जुबानी
ज़रा इन नम आँखों में देखो भीगकर, वो एक लम्हा और उस सच की कहानी...

सोचा मैंने आएगा एक दिन, और बता दूंगी  दिल का वो फ़साना
उन दूरियों का वो फ़ासला, और मेरे दिल का हर लम्हा सिसक जाना
फिर मेरे हज़ार सपने और उन सपनो में उसकी वो यादें सुहानी
दिल में उतरकर देखो तो ज़रा, हर लम्हा और एक सच की वो कहानी...

हर बीते पल को मैंने याद किया  इस तरह,
जैसे मेरी इन नम आँखों को आँसुयों से भी प्यार हो गया
कोई न समझेगा  इस चाहत और प्यार की सच्चाई को,
जैसे ज़िन्दगी को मैंने हर लम्हे में खोना शुरू दिया

आया वो लम्हा जब मैंने चाहा, कर दू जुदा तुझे इस दिल से,
लेकिन ना रही उस पल मेरे रूह में मेरी जिंदगानी
कर दिया क्या तुने जादू मेरे इस दिल पर , 

हर लम्हा मेरा अब तेरी जिंदगानी और एक लम्हे में एक सच की कहानी.

Monday, August 1, 2011

उम्मीद

हर सुबह एक नई उम्मीद लेकर आती है,
हर शाम उसके पुरे न होने का एहसास दिलाकर जाती है !
कहते हैं की उम्मीद पर दुनिया कायम है,
यहाँ तो हर उम्मीद ही नकायम नज़र आती है !


किस पर इलज़ाम लगाए इसका,
किस्मत ही सबसे बड़ी खिलाडी है !
हर उम्मीद को सपना बनाने की ,
बुरी आदत तो हमें ही पड़ी है !


कहते है कि उम्मीद से ही सजती है ज़िन्दगी ,
बुलंद सपनों को मौत अखर जाती है !
कैसे बताए किसी को कि जिस के पास कोई उम्मीद नहीं ,
उसे उसकी ज़िन्दगी अखर जाती है !


हर उगता सपना होठों पर हँसी लेकर आता है ,
हर ढलता सपना आँखों में नमी छोड़ जाता है !
अब तो फर्क ही नहीं पड़ता इन उगता और ढलते सपनों से ,
क्योंकि अब ना ज़िन्दगी का सारऔर ना किनारा नज़र आता है !


यूँ ही लौट जाती है उम्मीदें दिल पर दस्तक देकर ,
बरसों से इस दिल का दरवाज़ा बंद जो नज़र आता है !
पर बसता है वो खुदा कहीं ना कहीं इस दिल में ,
जिसे देखकर हर दर्द हर गिला दूर हो जाता है !
बस उसका प्यार ही तो है अब ज़िन्दगी मेरी ,
हर दुःख उसका सबक और हर सुख उसका आशीर्वाद नज़र आता है !!!

Thursday, February 17, 2011

अँधेरा चिरागों का


हर्ष शर्मा

चिराग हमेशा से ही रौशनी और उम्मीद के प्रतीक रहे हैं, पर कुछ चिराग ज़िन्दगी को अंधकार भी दे जाते हैं! पिछले दिनों हुए सड़क हादसों ने कई चिरागों को बुझा दिया और एसा ही एक चिराग हमने भी खोया ! वो चिराग था हर्ष  जिसकी हसीं ने हमें खुशियों की रौशनी दी! उसका वो मस्तमौला अंदाज़ हमारे हँसने की एक वजह बन चुका था पर उसकी चुप्पी ने हम सबको रुला दिया ! जहां उसके साथ बिताया हर लम्हां होठों पर मुस्कान ला  देता है वहीं उसकी आखरी झलक आँखों को नम कर देती है ! माता - पिता ने जिसके  लिए हर पल खुली आँखों से सपना बुना उस बेटे  ने अपनी ही आँखें बंद कर ली, बहन ने जिसके कन्धों पर ससुराल जाने का सपना देखा, उस भाई ने दूसरों के कन्धों का सहारा ले लिया ! कुछ समय की खुशियाँ  देकर वो चिराग अपने परिवार और दोस्तों को एसा अंधेरा दे गया जिसमे हर किरण फ़ीकी नज़र आती है ! अब एहसास होता है की किस तरह  एक पल में ज़िन्दगी  बदल जातीं है ! यूं तो हर  चिराग का बुझना तकलीफदायक होता है पर शायद उसके रोशन पलों से हमें  इस तकलीफ को हँसकर सहने की आदत हो जाए ! कहते हैं अच्छे और खुश मिजाज़ लोगों की जरुरत उस खुदा को भी है, शायद इसीलिए उसने हर्ष को अपने पास बुला लिया ! हम सब उसकी कमीं बहुत महसूस करेंगें! अब तो बस दिल से दुआ करती हूँ की इश्वर उसकी आत्मा को शांति और उसके परिवार को उसकी कमीं का गम सहने की शक्ति दे !

Tuesday, November 23, 2010

धुंए में भविष्य



आज  रास्तें से  गुज़रते  वक़्त एक लड़के को देखा जो महज़ १२ या १४ साल का होगा, पर उसके हाथों  में  जलते ज़हर को देखकर उसकी उम्र का यकीन नहीं हुआ  .वो ज़हर था सिगरेट ! आजकल ये ज़हर लोगों की जरुरत से बढ़कर एक फैशन बन गया है. युवा सोचते है कि अगर ज़िन्दगी में सिगरेट नहीं पी तो कुछ नहीं किया और इसी मानसिकता को वो अपने दोस्तों में भी  फेला  रहे है! पर शायद वो ये भूल गए है कि हर कश  में,  धुंए के साथ, वो अपने परिवार के सपनों को भी हवा में उड़ा रहे है ! इस फैशन के दलदल में फंसकर  वो अपने शारीर को  कमज़ोर बना लेते  है और जब माता-पिता को  सहारे  की जरुरत होती है, तब उनके ही कन्धों  का सहारा लेना पड़ता है ! जिस ज़िन्दगी को उन्होंने आसमान की बुलंदियों में  देखना चाहा  वो धुंए में ही सिमट कर रह जाती है !
              
                हमे आज़ादी दिलाने वाले ये सोचकर देश हमारे हवाले कर गए थे कि हम इसे सुनहरा बनायेंगे पर जिनकी ज़िन्दगी खुद  धुंए में हो, उनसे तो उम्मीद करना ही शायद बेकार होगा क्यूंकि एक स्वस्थ राष्ट्र कि उम्मीद उन्ही से करनी चाहिये जो खुद स्वस्थ हो ! आज के युवाओं कि आँखों में सपने तो बहुत है पर उन्हें पूरा करने के लिए वक़्त शायद कुछ ही को मिल पाता है और उन सपनों के पूरा होने से पहले ही वो आँखें  हमेशा के लिए बंद हो जाती है ! तेज़ी से बढ रही इस ज़हर की ललक को देखकर मन में  कई  सवाल आते  है कि क्यूँ ये सबकी ज़िन्दगी बनता जा रहा है ? क्या हम इसे रोक नहीं सकते ? क्या हम इतने बेबस हो गए है की अपने घर के चिराग को तम्बाकू के  धुंए में  जलता  देखे ?ज़रा सोचिये अगर हम सब अपने दोस्तों को इस से रोके तो कितनी जिंदगियां बच सकती है, आखिर बूंद बूंद से ही तो गढ़ा भरता है न ! ! ! !

Monday, August 9, 2010

ओनर किल्लिंग -ये कैसा सम्मान ?

कहते है की इन्सान की ज़िन्दगी रिश्तों से बनती है और यही रिश्ते उसकी अधूरी ज़िन्दगी को पूरा करते हैं .पर भारत में हर साल सामने आ रहे करीब 1000 ओनर किल्लिंग के मामलों ने मानो इस सच को धुंधला कर दिया है .तेजी से बढ़ रही इस सम्मान की चाह ने हर रिश्ते को जला दिया है .चाहे वो भाई -बहिन का रिश्ता हो ,या चाहे माँ -बाप का, समाज में इज्ज़त बनाए रखने के लिए इन्सान हर सीमा को पार कर रहा है .पर हकीक़त में सम्मान कहाँ है ?प्यार में या मारने में ?
........शायद वो भूल गया है की इन्सान का अस्तित्व इंसानियत से है ,हेवानियत से नहीं .आज हर इन्सान ये मान चूका है की अगर घर की लड़की ने अपनी पसंद से रिश्ता चुना , तो समाज में उनकी नज़र हमेशा के लिए झुक जाएगी ,पर हम जब ये पहले से ही मानते है की भगवान्  रिश्ता जन्नत से बनाकर भेजतें हैं तो उसके लिए ये तबाही क्यूँ ?क्यूँ आज प्यार को इतना  बुरा  मान लिया गया है की लोगों को इन्सान से जानवर बनने में एक पल भी नहीं लगता .ये बात एक इन्सान की या एक परिवार की नहीं ,ये बात है पुरे समाज की .क्यूँ समाज उस परिवार को चेन से जीने नहीं देता जिसमे किसी ने अपनी ज़िन्दगी का फैसला अपने ढंग से किया हो ?ये अपमान एक इन्सान को इतना मजबूर कर देता है की वो अपने ही रिश्तों का खून कर दे .जिन हाथों पर बहिन ने सालों तक रक्षा सूत्र बांधा ,वो हाथ ही उसके भक्षक बन जाते है .तकनीक के इस बदलते युग में हमने अपनी समझ को तो बहुत विकसित कर लिया है पर अपनी सोचने की शक्ति को मानो खो बेठे है .इस वैश्वीकरण में हमारी सोच का दायरा भी छोटा होता जा रहा है . संस्कार और प्यार की कमी की वजह से होती ग्लोबल वार्मिंग हमारे इंसानियत के हिमालय को निरंतर पिघला रही है .और अगर ये एसे ही बढती रही तो इश्वर की रची इस सुन्दर दुनिया में हमारे रूप में सिर्फ मशीन ही रह जाएंगी .

Monday, August 2, 2010

एक नया फैशन

आज की  दुनिया  फैशन  की दुनिया  है. पर आज एक नया फैशन देखने को मिला, ये है प्यार का फैशन. ये फैशन बाकि सबसे बहुत ही अजीब है. ये एक दलदल की तरह है जो आज की युवा पीढ़ी को अपनी और तेजी से आकर्षित कर रहा है. युवा आकर्षण और प्यार में अंतर करना भूल गए है और यही वजह है की आजकल बिजली के तारों के टूटने से ज्यादा दोस्तों के दिल टूटने की खबरे सुनाई देती है. कुछ लम्हों की मुलाकात को लोग प्यार समझ कर अपने जीवन की रचना कर लेते है और यही सपने टूटने का एहसास उन्हें एक ऐसे समुन्दर में ले जाता है की वो शराब जेसे जहर को पी जाते है. में ये नहीं कहती की आज सच्चा प्यार बाकि नहीं रहा पर हाँ इस गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के चक्कर ने उनकी सही और गलत परखने की शमता पर अंकुश लगा दिया है और इसी नासमझी के चलते वो  सीमओं को पार कर जाते है. में ये मानती हूँ की प्यार खुदा का दिया हुआ एक खुबसूरत एहसास होता है जो अपने आप में इन्सान को पूरा कर देता है और सच्चा प्यार वही है जो इसे इसके सही रूप में बरक़रार रखे.

Monday, March 15, 2010

मैं कोई लेखक नहीं,लेखक तो गहराइयों से जाने कैसे-कैसे मोती निकल लाते हैं,पर मुझ में इतनी गंभीरता और सामर्थ कहाँ! मैं वही लिखती हूँ जो दिल की गहराइयों से बाहर आता है! पहली बार कुछ लिखने की कोशिश की है,उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा,और कुछ गलती हो तो माफ़ कीजियेगा!


स्पर्श

हर इंसान की ज़िन्दगी अलग होती है,लेकिन कहीं न कहीं, कभी न कभी सभी की ज़िन्दगी में एक स्पर्श सबकुछ बदल देता है! वो स्पर्श एक किरण बनकर, हमारे मन की हर कली को खिला देता है! यहाँ स्पर्श का मतलब आपके दिल को छुनेसे है! ये कहानी भी एक ऐसी ही लड़की की है, जिसका जीवन एक स्पर्श ने बदल दिया!

एक
लड़की थी अनजानी सी,
इस दुनिया से बेगानी सी!
किसी से नफरत थी, किसी से मोहब्बत,
उसके जीने का था कोई मतलब!
सांसे
चलती है बस इसलिए जिंदा हूँ,
ऐसी
ही सोच थी नादान सी!
मन
से भोली, थी उसमे कोई
चतुराई,
फिर भी किस्मत करती उससे लड़ाई!
दोस्त क्या, परिवार क्या, सब एहसास बेमाने थे,
दिल की आवाज़ को न सुनने के,
उसके कई बहाने थे!

फिर एक फ़रिश्ते की,
पड़ी उस पर नज़र!
उसकी सादगी ने भी किया,
लड़की के दिल पर असर!
उसकी
अच्छाइयों ने लड़की के,
दिल को छु लिया !
एक कोमल स्पर्श ने,
उसका जीवन बदल दिया!

अब तो जैसे दिल की आवाज़,
रुकने का नाम नहीं ले रही थी!
एक अनजानी सी सोच उसके ,
दिमाग को भी बदल रही थी!
हँसना,बोलना,मुस्कुराना,
उसका मन भी नाचने-गाने लगा!
एक दिन आसमान में उड़ने का
सपना सा जागने
लगा !
फ़रिश्ते की दोस्ती,
उसके लिए खुदा बन गयी!
अपना रंग भूलकर वो,
दोस्ती के रंग में ढल गई!

लेकिन फ़रिश्ते की दोस्ती ने,
चाहत का रूप ले लिया!
लड़की का साथ धीरे-धीरे,
उसकी ज़िन्दगी बन गया!!
नादान था वो, जो जोड़ ली उसने,
लड़की से प्रेम की लगन ,
जानता न था वो की हो नहीं सकता,
धरती और आसमान का मिलन!!

किस्मत ने भी अपना खेल दिखाया,
उनके दरमियाँ मीलों का फासला किया!
जो खिली थी कली, वो मुरझा रही है,
ज़ंजीर धीरे-धीरे कसती जा रही है!
आसमान में उड़ने का सपना बिखर गया,
फ़रिश्ते का प्यार इंतज़ार में बदल गया !
आँखों में अब भी है उम्मीद,
एक दिन उसका साथ मिलेगा !
फ़रिश्ते को है आस कि
राह का काँटा ,
एक दिन फूल बनेगा !!

आज भी करती है लड़की,
उस फ़रिश्ते की इबादत!
जिस की ज़िन्दगी महका गई,
अनजानी सी एक चाहत!
फ़रिश्ते का प्यार ,
आज भी बरक़रार है !
कहते है न की,
प्रेम के रूप हज़ार है !
कौन कहता है की
प्यार का अर्थ ,
सिर्फ पाना होता
है !
प्रेम का प्रतीक
चांद भी ,
हमेशा अकेला होता है !
त्याग भी एक रूप है सच्चे प्यार का,
क्यूंकि
प्यार का पहला अक्षर ही ,
अधुरा
होता है!!