Monday, March 15, 2010

मैं कोई लेखक नहीं,लेखक तो गहराइयों से जाने कैसे-कैसे मोती निकल लाते हैं,पर मुझ में इतनी गंभीरता और सामर्थ कहाँ! मैं वही लिखती हूँ जो दिल की गहराइयों से बाहर आता है! पहली बार कुछ लिखने की कोशिश की है,उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगा,और कुछ गलती हो तो माफ़ कीजियेगा!


स्पर्श

हर इंसान की ज़िन्दगी अलग होती है,लेकिन कहीं न कहीं, कभी न कभी सभी की ज़िन्दगी में एक स्पर्श सबकुछ बदल देता है! वो स्पर्श एक किरण बनकर, हमारे मन की हर कली को खिला देता है! यहाँ स्पर्श का मतलब आपके दिल को छुनेसे है! ये कहानी भी एक ऐसी ही लड़की की है, जिसका जीवन एक स्पर्श ने बदल दिया!

एक
लड़की थी अनजानी सी,
इस दुनिया से बेगानी सी!
किसी से नफरत थी, किसी से मोहब्बत,
उसके जीने का था कोई मतलब!
सांसे
चलती है बस इसलिए जिंदा हूँ,
ऐसी
ही सोच थी नादान सी!
मन
से भोली, थी उसमे कोई
चतुराई,
फिर भी किस्मत करती उससे लड़ाई!
दोस्त क्या, परिवार क्या, सब एहसास बेमाने थे,
दिल की आवाज़ को न सुनने के,
उसके कई बहाने थे!

फिर एक फ़रिश्ते की,
पड़ी उस पर नज़र!
उसकी सादगी ने भी किया,
लड़की के दिल पर असर!
उसकी
अच्छाइयों ने लड़की के,
दिल को छु लिया !
एक कोमल स्पर्श ने,
उसका जीवन बदल दिया!

अब तो जैसे दिल की आवाज़,
रुकने का नाम नहीं ले रही थी!
एक अनजानी सी सोच उसके ,
दिमाग को भी बदल रही थी!
हँसना,बोलना,मुस्कुराना,
उसका मन भी नाचने-गाने लगा!
एक दिन आसमान में उड़ने का
सपना सा जागने
लगा !
फ़रिश्ते की दोस्ती,
उसके लिए खुदा बन गयी!
अपना रंग भूलकर वो,
दोस्ती के रंग में ढल गई!

लेकिन फ़रिश्ते की दोस्ती ने,
चाहत का रूप ले लिया!
लड़की का साथ धीरे-धीरे,
उसकी ज़िन्दगी बन गया!!
नादान था वो, जो जोड़ ली उसने,
लड़की से प्रेम की लगन ,
जानता न था वो की हो नहीं सकता,
धरती और आसमान का मिलन!!

किस्मत ने भी अपना खेल दिखाया,
उनके दरमियाँ मीलों का फासला किया!
जो खिली थी कली, वो मुरझा रही है,
ज़ंजीर धीरे-धीरे कसती जा रही है!
आसमान में उड़ने का सपना बिखर गया,
फ़रिश्ते का प्यार इंतज़ार में बदल गया !
आँखों में अब भी है उम्मीद,
एक दिन उसका साथ मिलेगा !
फ़रिश्ते को है आस कि
राह का काँटा ,
एक दिन फूल बनेगा !!

आज भी करती है लड़की,
उस फ़रिश्ते की इबादत!
जिस की ज़िन्दगी महका गई,
अनजानी सी एक चाहत!
फ़रिश्ते का प्यार ,
आज भी बरक़रार है !
कहते है न की,
प्रेम के रूप हज़ार है !
कौन कहता है की
प्यार का अर्थ ,
सिर्फ पाना होता
है !
प्रेम का प्रतीक
चांद भी ,
हमेशा अकेला होता है !
त्याग भी एक रूप है सच्चे प्यार का,
क्यूंकि
प्यार का पहला अक्षर ही ,
अधुरा
होता है!!

1 comment:

  1. रुचिका जी, सुन्दर रचना के लिए बधाई.
    रचना में भावों की अभिव्यक्ति सहज है. पहले प्रयास में ही आपने अपनी लेखनी को साबित कर दिया है.
    - अमित सिंह, इंदौर
    Mo. 9300939758

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