Monday, August 9, 2010

ओनर किल्लिंग -ये कैसा सम्मान ?

कहते है की इन्सान की ज़िन्दगी रिश्तों से बनती है और यही रिश्ते उसकी अधूरी ज़िन्दगी को पूरा करते हैं .पर भारत में हर साल सामने आ रहे करीब 1000 ओनर किल्लिंग के मामलों ने मानो इस सच को धुंधला कर दिया है .तेजी से बढ़ रही इस सम्मान की चाह ने हर रिश्ते को जला दिया है .चाहे वो भाई -बहिन का रिश्ता हो ,या चाहे माँ -बाप का, समाज में इज्ज़त बनाए रखने के लिए इन्सान हर सीमा को पार कर रहा है .पर हकीक़त में सम्मान कहाँ है ?प्यार में या मारने में ?
........शायद वो भूल गया है की इन्सान का अस्तित्व इंसानियत से है ,हेवानियत से नहीं .आज हर इन्सान ये मान चूका है की अगर घर की लड़की ने अपनी पसंद से रिश्ता चुना , तो समाज में उनकी नज़र हमेशा के लिए झुक जाएगी ,पर हम जब ये पहले से ही मानते है की भगवान्  रिश्ता जन्नत से बनाकर भेजतें हैं तो उसके लिए ये तबाही क्यूँ ?क्यूँ आज प्यार को इतना  बुरा  मान लिया गया है की लोगों को इन्सान से जानवर बनने में एक पल भी नहीं लगता .ये बात एक इन्सान की या एक परिवार की नहीं ,ये बात है पुरे समाज की .क्यूँ समाज उस परिवार को चेन से जीने नहीं देता जिसमे किसी ने अपनी ज़िन्दगी का फैसला अपने ढंग से किया हो ?ये अपमान एक इन्सान को इतना मजबूर कर देता है की वो अपने ही रिश्तों का खून कर दे .जिन हाथों पर बहिन ने सालों तक रक्षा सूत्र बांधा ,वो हाथ ही उसके भक्षक बन जाते है .तकनीक के इस बदलते युग में हमने अपनी समझ को तो बहुत विकसित कर लिया है पर अपनी सोचने की शक्ति को मानो खो बेठे है .इस वैश्वीकरण में हमारी सोच का दायरा भी छोटा होता जा रहा है . संस्कार और प्यार की कमी की वजह से होती ग्लोबल वार्मिंग हमारे इंसानियत के हिमालय को निरंतर पिघला रही है .और अगर ये एसे ही बढती रही तो इश्वर की रची इस सुन्दर दुनिया में हमारे रूप में सिर्फ मशीन ही रह जाएंगी .

Monday, August 2, 2010

एक नया फैशन

आज की  दुनिया  फैशन  की दुनिया  है. पर आज एक नया फैशन देखने को मिला, ये है प्यार का फैशन. ये फैशन बाकि सबसे बहुत ही अजीब है. ये एक दलदल की तरह है जो आज की युवा पीढ़ी को अपनी और तेजी से आकर्षित कर रहा है. युवा आकर्षण और प्यार में अंतर करना भूल गए है और यही वजह है की आजकल बिजली के तारों के टूटने से ज्यादा दोस्तों के दिल टूटने की खबरे सुनाई देती है. कुछ लम्हों की मुलाकात को लोग प्यार समझ कर अपने जीवन की रचना कर लेते है और यही सपने टूटने का एहसास उन्हें एक ऐसे समुन्दर में ले जाता है की वो शराब जेसे जहर को पी जाते है. में ये नहीं कहती की आज सच्चा प्यार बाकि नहीं रहा पर हाँ इस गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के चक्कर ने उनकी सही और गलत परखने की शमता पर अंकुश लगा दिया है और इसी नासमझी के चलते वो  सीमओं को पार कर जाते है. में ये मानती हूँ की प्यार खुदा का दिया हुआ एक खुबसूरत एहसास होता है जो अपने आप में इन्सान को पूरा कर देता है और सच्चा प्यार वही है जो इसे इसके सही रूप में बरक़रार रखे.