Thursday, February 17, 2011

अँधेरा चिरागों का


हर्ष शर्मा

चिराग हमेशा से ही रौशनी और उम्मीद के प्रतीक रहे हैं, पर कुछ चिराग ज़िन्दगी को अंधकार भी दे जाते हैं! पिछले दिनों हुए सड़क हादसों ने कई चिरागों को बुझा दिया और एसा ही एक चिराग हमने भी खोया ! वो चिराग था हर्ष  जिसकी हसीं ने हमें खुशियों की रौशनी दी! उसका वो मस्तमौला अंदाज़ हमारे हँसने की एक वजह बन चुका था पर उसकी चुप्पी ने हम सबको रुला दिया ! जहां उसके साथ बिताया हर लम्हां होठों पर मुस्कान ला  देता है वहीं उसकी आखरी झलक आँखों को नम कर देती है ! माता - पिता ने जिसके  लिए हर पल खुली आँखों से सपना बुना उस बेटे  ने अपनी ही आँखें बंद कर ली, बहन ने जिसके कन्धों पर ससुराल जाने का सपना देखा, उस भाई ने दूसरों के कन्धों का सहारा ले लिया ! कुछ समय की खुशियाँ  देकर वो चिराग अपने परिवार और दोस्तों को एसा अंधेरा दे गया जिसमे हर किरण फ़ीकी नज़र आती है ! अब एहसास होता है की किस तरह  एक पल में ज़िन्दगी  बदल जातीं है ! यूं तो हर  चिराग का बुझना तकलीफदायक होता है पर शायद उसके रोशन पलों से हमें  इस तकलीफ को हँसकर सहने की आदत हो जाए ! कहते हैं अच्छे और खुश मिजाज़ लोगों की जरुरत उस खुदा को भी है, शायद इसीलिए उसने हर्ष को अपने पास बुला लिया ! हम सब उसकी कमीं बहुत महसूस करेंगें! अब तो बस दिल से दुआ करती हूँ की इश्वर उसकी आत्मा को शांति और उसके परिवार को उसकी कमीं का गम सहने की शक्ति दे !